गुरुवार, 30 जुलाई 2020

RAS RAJASTHAN LAKES

प्राचीन काल से ही राजस्थान में अनेक प्राकृतिक झीलें विद्यमान है। मध्य काल तथा आधुनिक काल में रियासतों के राजाओं ने भी अनेक झीलों का निर्माण करवाया। राजस्थान में मीठे और खारे पानी की झीलें हैं जिनमें सर्वाधिक झीलें मीठे पानी की है।

मीठे पानी की झीलेंसंपादित करें

जयसमन्द झीलसंपादित करें

जयसमंद झील जिसे ढेबर झील भी कहा जाता है। यह पश्चिमोत्तर भारत के दक्षिण-मध्य राजस्थान राज्य के अरावली पर्वतमाला के दक्षिण-पूर्व में स्थित एक विशाल जलाशय है। यह राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस झील को एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील होने का गौरव प्राप्त है। यह उदयपुर जिला मुख्यालय से ५१ कि॰मी॰ की दूरी पर दक्षिण-पूर्व की ओर उदयपुर-सलूम्बर मार्ग पर स्थित है। अपने प्राकृतिक परिवेश और बाँध की स्थापत्य कला की सुन्दरता से यह झील वर्षों से पर्यटकों के आकर्षण का महत्त्वपूर्ण स्थल बनी हुई है। यहां घूमने का सबसे उपयुक्त समय मानसून के समय है। झील के साथ वाले रोड पर केन से बने हुए घर बड़ा ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करते हैं। यह झील का सबसे सुन्दर दृश्य है। इसका निर्माण अलवर के महाराज जय सिंह ने १९१० में पिकनिक के लिए करवाया था। उन्होंने इस झील के बीच में एक टापू का निर्माण भी कराया था। इस झील के अंदर 7 बड़े टापू है जिसमे बाबा का भागड़ा सबसे बड़ा तथा प्यारी सबसे छोटा टापू है

राजसमन्द झीलसंपादित करें

यह झील उदयपुर से लगभग ६० किलोमीटर उत्तर में राजसमन्द जिलें में स्थित है यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। यह झील ८८ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। महाराणा राजसिंह ने इस झील का निर्माण १७वीं शताब्दी में गोमती नदी पर बांध बनाकर किया था। इसके तटबंध पर संगमरमर का एक स्मारक है जिस पर महाराणा राजसिंह ने प्रसिद्ध शिलालेख राज प्रशस्ति लिखाया था जो इस प्रशस्ति को रणछोड़ भट्ट ने उत्कीर्ण करवाया था तथा पहाड़ पर बने महल का नाम राजमन्दिर है।

पिछोला झीलसंपादित करें

उदयपुर में लेक पिछोला

पिछोला झील राज्य के उदयपुर के पश्चिम में पिछोली गांव के निकट इस झील का निर्माण राणा लखा के काल (१४वीं शताब्दी के अंत) में किसी एक बनजारे ने करवाया था। इसके बाद महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने इस शहर की खोज के बाद झील का विस्तार कराया था। झील में दो द्वीप हैं और दोनों पर महल बने हुए हैं। एक है जग निवास, जो अब लेक पैलेस होटल बन चुका है और दूसरा है जग मंदिर, उदयपुर

आना सागर झीलसंपादित करें

The Anasāgar Lake 1 PHOTOGRAPHED BY FATEH.RawKEy.jpg

आना सागर झील जिसे आणा सागर झील भी कहा जाता है यह भारत में राजस्थान राज्य के अजमेर संभाग में स्थित एक कृत्रिम झील है। इस झील का निर्माण पृथ्वीराज चौहान के दादा आणाजी चौहान ने बारहवीं शताब्दी के मध्य (११३५-११५० ईस्वी) में करवाया था। आणाजी द्वारा निर्मित करवाये जाने के कारण ही इस झील का नामकरण आणा सागर या आना सागर प्रचलित माना जाता है।

सिलीसेढ़ झीलसंपादित करें

{{Main|फलौदी झील

यह झील राज्य के अलवर ज़िले में स्थित एक है। यहां पर सन् १८४५ ईस्वी में अलवर के [1] महाराजा विनयसिंह ने अपनी पत्नी हेतु एक शाही महल तथा लॉज बनाया था ,जो वर्तमान में लेक पैलेस होटल के नाम से चल रहा है और यह होटल अब राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा संचालित की जा रही है।

नक्की झीलसंपादित करें

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नक्की झील राज्य के माउंट आबू सिरोही ज़िले में रघुनाथ जी के मंदिर के पास स्थित है। यह राजस्थान की सबसे ऊंची झील है। [2] कहा जाता है कि एक हिन्दू देवता ने अपने नाखूनों से खोदकर यह झील बनाई थी। इसीलिए इसे नक्की (नख या नाखून) नाम से जाना जाता है। झील से चारों ओर के पहाड़ियों का दृश्य अत्यंत सुंदर दिखता है। इस झील में नौकायन का भी आनंद लिया जा सकता है। नक्की झील के दक्षिण-पश्चिम में स्थित सूर्यास्त बिंदू से डूबते हुए सूर्य के सौंदर्य को देखा जा सकता है। यहाँ से दूर तक फैले हरे भरे मैदानों के दृश्य आँखों को शांति पहुँचाते हैं। सूर्यास्त के समय आसमान के बदलते रंगों की छटा देखने सैकड़ों पर्यटक यहाँ आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य का नैसर्गिक आनंद देनेवाली यह झील चारों ओऱ पर्वत शृंखलाओं से घिरी है। यहाँ के पहाड़ी टापू बड़े आकर्षक हैं। यहाँ कार्तिक पूर्णिमा को लोग स्नान कर धर्म लाभ उठाते हैं। झील में एक टापू को ७० अश्वशक्ति से चलित विभिन्न रंगों में जल फव्वारा लगाकर आकर्षक बनाया गया है जिसकी धाराएँ ८० फुट की ऊँचाई तक जाती हैं। झील में नौका विहार की भी व्यवस्था है।[3]

फतेहसागर झीलसंपादित करें

फतेहसागर झील का एक दृश्य

यह झील उदयपुर ज़िले में स्थित एक झील है [4] जिसका पुनः निर्माण महाराणा फतेहसिंह ने [5] करवाया था। यह झील पिछोला झील से जुड़ी हुई है। फतेहसागर झील पर एक टापू है जिस पर नेहरू उद्यान विकसित किया गया है। साथ ही झील में एक सौर वेधशाला की भी स्थापना की गई है। फतेहसागर झील के स्थान पर प्राचीन काल में यहां पर देबाली गांव था इसी कारण इसे देबाली तालाब भी कहा जाता है। इसे कनोट बांध भी कहते हैं।

पुष्कर झीलसंपादित करें

पुष्कर झील या पुष्कर सरोवर जो कि राज्य के अजमेर ज़िले के पुष्कर कस्बे में स्थित एक पवित्र हिन्दुओं की झील है। इस प्रकार हिन्दुओं के अनुसार यह एक तीर्थ है। पौराणिक दृष्टिकोण से इस झील का निर्माण भगवान ब्रह्मा जी ने करवाया था इस कारण झील के निकट ब्रह्मा जी का मन्दिर भी बनाया गया है। [6][7][7][8]पुष्कर झील में कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर -नवम्बर) माह में पुष्कर मेला भरता है जहां पर हज़ारों की तादाद में तीर्थयात्री आते है तथा स्नान करते है। ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने पर त्वचा के सारे रोग दूर हो जाते है और त्वचा साफ सुथरी हो जाती है।

फॉयसागर झीलसंपादित करें

फॉयसागर झील राजस्थान के अजमेर ज़िले में स्थित एक झील [9] है जिसका निर्माण अंग्रेज अभियंता फॉय के निर्देशन में [10]बाढ़ राहत परियोजना के तहत हुआ था। इसका पानी आना सागर झील में आता है।

रंगसागर झीलसंपादित करें

रंग सागर झील जो कि राज्य के उदयपुर ज़िले की एक छोटी सी झील है। यह झील स्वरूप सागर झील और पिछोला झील से जुड़ी हुई है। यह एक ताजे पानी की झील है जो उदयपुर शहर के लोगों की प्यास बुझाती है जबकि शहर की शान बढाती है। रंग सागर झील का निर्माण महाराजा अमर सिंह बड़वा ने १६६८ [11] ईस्वी में करवाया था। इस कारण इस झील को अमरकुंट भी कहते है। यह झील लगभग २५० मीटर चौड़ी और १ किलोमीटर लम्बी है।[12]

बालसमंद झीलसंपादित करें

जोधपुर में स्थित है इस झील का निर्माण सन 1159 में परिहार शासन बालक राम ने करवाया था वर्तमान में यह झील पेयजल भी उपलब्ध करवाती है तथा जोधपुर के प्राकृतिक सौंदर्य को भी बढाती है।

स्वरूप सागर झीलसंपादित करें

स्वरूप सागर (Swaroop Sagar Lake) एक छोटी सी झील है जो भारत के राजस्थान के उदयपुर ज़िले में स्थित है। यह झील पिछोला झील और रंगसागर झील से जुड़ी हुई है।

गजनेर झीलसंपादित करें

यह झील जो कि राज्य के [13]बीकानेर ज़िले से ३२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है [14]। यह लगभग ०.४ किलोमीटर लम्बी और १८३ अथवा २७४ मीटर चौड़ी है।

कोलायत झीलसंपादित करें

कोलायत झील जो कि राज्य के बीकानेर [15] ज़िले में स्थित एक झील है। इस झील में स्नान करना धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है इसलिये यहां लोगों का आना जाना चलता रहता है। यहां नहाने के लिए अनेक घाट बने हुए है जिनके चारों ओर पीपल के वृक्ष हैं। इसे शुष्क मरुस्थल का सुन्दर मरूद्यान कहा जाता है। यहां प्राचीनकाल में कपिल मुनि का आश्रम था इस कारण प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को कपिल मुनि [16] का मेला भरता है।

दूगारी झीलसंपादित करें

लगभग 3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है यह झील कनक सागर के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस झील का निर्माण 1580 ईस्वी में २ लाख की लागत से किया गया था। यह झील दूगारी गाँव के निकट स्थित है। इसे बूंदी जिले का सर्वाधिक विशाल जल भंडार भी कहा जा सकता है।

तलवाड़ा झीलसंपादित करें

तलवाड़ा झील जिसे तलवारा झील के नाम से भी जाना जाता है एक छोटी सी झील है जो राज्य के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्गर-हकरा नदी के मार्ग में एक द्रोणी में पानी भर जाने से मानसून की बारिशों के दौरान बन जाती है।[17] सन् १३९८-९९ ईसवी में जब तैमूर ने मध्य एशिया से आकर भारत पर हमला किया था तो हनुमानगढ़ के भटनेर क़िले पर क़ब्ज़ा करने के बाद वह यहाँ कुछ देर के लिए सस्ताया था।[17] हनुमानगढ़ ज़िला एक बहुत ही शुष्क इलाक़ा है और कहा जाता है कि यह मौसमी सरोवर इस ज़िले की इकलौती झील है।[18] घग्गर नदी के मार्ग में यह हरियाणा के सिरसा ज़िले के ओटू वीयर (बाँध) के आगे पड़ती है।

बुद्धा जोहड़ झीलसंपादित करें

डाबला के निकट बुद्धा जोहड़ नामक एक झील है जिसमें गंग नहर का पानी एकत्रित होता है यह झील सिंचाई के लिए उपयोगी नहीं है क्योंकि यहां पानी की मात्रा सीमित रहती है।

काडिला एवं मानसरोवर झीलसंपादित करें

यह कृत्रिम झीलें में झालावाड़ जिले में स्थित है इन झीलों का निर्माण असनावा के निकट मुकुंदरा पर्वत श्रेणी में किया गया है इनके जल का उपयोग मुख्यतः सिंचाई के लिए किया जाता है मानसरोवर झील झालावाड़ जिले के रातेड़ी गाँव के निकट स्थित है।

पीथमपुरी झीलसंपादित करें

पीथमपुरी झील राज्य के सीकर ज़िले के नीम का थाना [19] तहसील में स्थित एक झील है जो सिंचाई प्रयोजन में महत्वपूर्ण नहीं है। यह एक छोटी-सी गर्त भूमि पर है जहां वर्षा का पानी जमा हो जाता है जो कुछ महीनों तक भरा रहता है और बाद में सूख जाता है।

घड़सीसर झीलसंपादित करें

यह झील जैसलमेर नगर में स्थित है। जैसलमेर के दो प्रमुख प्रवेश द्वार है पूर्व में घड़सीसर दरवाजा तथा पश्चिम में अमरसर दरवाजा। यह झील घड़सीसर दरवाजे के दक्षिण - पूर्व में कुछ दूरी पर स्थित है इसका निर्माण रावत घड़सिंह अथवा घरसी द्वारा करवाया गया था इसी कारण इस झील को घड़सीसर झील कहा जाता है। झील में वर्षा का जल एकत्रित होता है जिसका उपयोग मुख्यतः पेयजल के रूप में किया जाता है। झील के निकट अनेक समाधियाँ और मंदिर स्थित है।

बीसलसर झीलसंपादित करें

अजमेर में स्थित इस झील का निर्माण ११५२ ईस्वी से ११६२ ईस्वी के मध्य अजमेर के चौहान शासक बीसलदेव के द्वारा करवाया गया था। प्रारंभ में इस झील में स्थित दो टापूओं पर राज प्रसाद बने हुए थे। मुग़ल बादशाह जहाँगीर ने इस झील के किनारे एक महल बनवाया था जिसके स्थान पर वर्तमान में चर्च स्थित है।

बड़ी झीलसंपादित करें

बड़ी झील एक झील है जो भारत के राजस्थान राज्य के उदयपुर ज़िले में स्थित है। यह एक ताजे पानी की झील है इस झील का निर्माण महाराणा राज सिंह ने बड़ी गाँव से लगभग १२ किलोमीटर दूर (१६५२-१६८०) में करवाया था ,पहले इसका नाम जियान सागर रखा था जो बाद में इनकी माता ने बदलकर बड़ी झील रख दिया था। यह झील लगभग १५५ किलोमीटर को घेरी हुई है जबकि यह लगभग १८० मीटर लंबी और १८ मीटर चौड़ी है इसमें तीन छतरियां भी है। १९७३ के अकाल के इसी झील के द्वारा उदयपुर के लोगों तक पानी पहुँचाया जाता था। [20] इस झील पर पहुँचने के लिए उदयपुर सीधे ही बहुत बसें मिलती है।




खारे पानी की झीलेंसंपादित करें

राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में पाई जाने वाली खारे पानी की झीलें प्राचीन टेथिस सागर के अवशेष है।

सांभर झीलसंपादित करें

यह झील राज्य के जयपुर नगर के समीप स्थित यह लवण जल (खारे पानी) की झील है। यह झील समुद्र तल से १२,०० फुट की ऊँचाई पर स्थित है। जब यह भरी रहती है तब इसका क्षेत्रफल लगभग ९० वर्ग मील रहता है। इसमें तीन नदियाँ आकर गिरती हैं। इस झील से बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन किया जाता है। अनुमान है कि अरावली पर्वतमाला के शिष्ट और नाइस के गर्तों में भरा हुआ गाद ही नमक का स्रोत है। गाद में स्थित विलयशील सोडियम यौगिक वर्षा के जल में घुसकर नदियों द्वारा झील में पहुँचाता है और जल के वाष्पन के पश्चात झील में नमक के रूप में रह जाता है।

पचपदरा झीलसंपादित करें

पचपदरा झील राजस्थान की एक खारे पानी की झील है जो राज्य के बाड़मेर ज़िले के बालोतरा तहसील के पचपदरा गाँव में स्थित है। इस झील से नमक का उत्पादन होता है। इस झील में खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी के उपयोग द्वारा नमक के स्फटिक बनाते है। [21] ऐसा माना जाता है कि ४०० वर्ष पूर्व पंचा नामक भील के द्वारा दलदल को सुखा कर इस झील के आसपास की बस्तियों का निर्माण करवाया था।

डीडवाना झीलसंपादित करें

यह झील डीडवाना (नागौर) में स्थित है। इस झील में कृत्रिम रूप से कागज तैयार करने में काम आने वाले लवण के निर्माण हेतु सोडियम सल्फेट संयंत्र स्थापित किया गया है। अतः यहां से जो नमक उत्पादित होता है वह अखाद्य श्रेणी का होता है जिसे ब्रायन कहा जाता है

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